Maundy Thursday, या Holy Thursday जिसे “मौंडी गुरुवार” या “पवित्र गुरुवार” के नाम से भी जाना जाता है, ईसाई धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन ईस्टर (Easter) के पवित्र सप्ताह (Holy Week) का हिस्सा है और प्रभु यीशु मसीह के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना को याद करता है। इस दिन प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोज (Last Supper) साझा किया, उन्होंने प्रेम और सेवा का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया, और नई वाचा (New Covenant) की स्थापना की। यह दिन हमें प्रभु के बलिदान और उनके प्रेम की गहराई को समझने का अवसर देता है। वर्ष 2025 में Maundy Thursday (मौंडी गुरुवार) 17अप्रैल को मनाया जायेगा।
मौंडी थर्सडे का अर्थ और उत्पत्ति (Meaning and Origin of Maundy Thursday):
Maundy Thursday का नाम “मौंडी” (Maundy) लैटिन शब्द “मंडेटम” (Mandatum) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “आदेश” या “आज्ञा“। यह नाम प्रभु यीशु के उस आदेश से जुड़ा है जो उन्होंने अपने शिष्यों को दिया: “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं कि एक दूसरे से प्रेम रखो; जैसा मैंने तुमसे प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो” (यूहन्ना 13:34)। इसलिए, मौंडी गुरुवार न केवल अंतिम भोज (Last Supper) का स्मरण कराता है, बल्कि यह हमें सेवा, प्रेम और बलिदान की गहरी भावना भी सिखाता है।
बाइबिल में मौंडी थर्सडे की घटनाएँ (Events of Maundy Thursday in the Bible):
1. अंतिम भोज: प्रेम और बलिदान की मिसाल (The Last Supper: An example of love and sacrifice)

Maundy Thursday की मुख्य घटना अंतिम भोज (The Last Supper) है, जो प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों के साथ फसह (Passover) के अवसर पर साझा किया। यह भोज न केवल एक साधारण भोजन था, बल्कि इसमें प्रभु ने अपने बलिदान और नई वाचा की स्थापना की ओर इशारा किया।
मत्ती 26:26-28: “जब वे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली और आशीष देकर तोड़ी और चेलों को देकर कहा, ‘लो, खाओ; यह मेरी देह है।’ फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद दिया और उन्हें देकर कहा, ‘तुम सब इसमें से पीओ; क्योंकि यह मेरा वह लहू है, जो नई वाचा के लिए बहाया जाता है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।‘”
इन शब्दों के माध्यम से प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को यह समझाया कि उनका बलिदान मानवजाति के पापों के लिए है और यह नई वाचा उनके लहू और देह पर आधारित है। यह भोजन ईसाईयों के लिए एक पवित्र संस्कार (Sacrament) बन गया, जिसे हम “प्रभु भोज” (Holy Communion) या “ईचरिस्ट” (Eucharist) के नाम से जानते हैं।
2. पैर धोने की घटना: सेवा का अनोखा उदाहरण (Foot washing incident: A unique example of service):

Maundy Thursday की एक और महत्वपूर्ण घटना है प्रभु यीशु द्वारा अपने शिष्यों के पैर धोना। यह घटना यूहन्ना 13:1-17 में वर्णित है। प्रभु यीशु ने यह कार्य अपने शिष्यों को यह सिखाने के लिए किया कि सेवा और विनम्रता ही सच्चे नेतृत्व की निशानी है।
यूहन्ना 13:4-10: “फिर वह चेलों के पैर धोने के लिए उठा और उन्हें पोंछने के लिए अंगोछा लेकर कमर बाँध लिया।… जब वह शमौन पतरस के पास पहुँचा, तो पतरस ने उससे कहा, ‘हे प्रभु, क्या तू मेरे पैर धोएगा?’ यीशु ने उसको उत्तर दिया, ‘जो मैं करता हूँ, तू अभी नहीं समझता, परन्तु इसके बाद समझेगा।’ पतरस ने उससे कहा, ‘तू मेरे पैर कभी न धोएगा।’ यीशु ने उसको उत्तर दिया, ‘यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो तू मेरा भागी नहीं।’ शमौन पतरस ने उससे कहा, ‘हे प्रभु, तो केवल मेरे पैर ही नहीं, परन्तु मेरे हाथ और सिर भी धो दे।’ यीशु ने उससे कहा, ‘जो नहाया हुआ है, उसे पैरों के सिवाय और धोने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि वह तो सारा शुद्ध है।'”
इस घटना के माध्यम से प्रभु यीशु ने यह सिखाया कि सेवा और विनम्रता ही सच्चे प्रेम की निशानी है। उन्होंने अपने शिष्यों को यह आदेश दिया कि वे भी एक दूसरे की सेवा करें और प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करें।
3. यहूदा का विश्वासघात (Judas’ Betrayal):

इस रात यहूदा इस्करियोती, जो की यीशु मसीह के 12 चेलों में से एक था, उसने यीशु को तीस चाँदी के सिक्कों के बदले रोमी सैनिकों को सौंप दिया।
यूहन्ना 18:2: “और यहूदा, जो उसे पकड़वानेवाला था, यह जानकर कि वह स्थान कौन सा है, वहाँ आया; क्योंकि यीशु वहाँ अपने चेलों के साथ बार-बार जाता था।”
4. गतसमनी में प्रार्थना: बलिदान की तैयारी (Prayer in Gethsemane: Preparation for the Sacrifice):

अंतिम भोज (The Last Supper) के बाद, प्रभु यीशु अपने शिष्यों के साथ गतसमनी (Gethsemane) के बगीचे में गए, जहाँ उन्होंने प्रार्थना की। यह प्रार्थना उनके बलिदान की तैयारी का हिस्सा थी।
मत्ती 26:39: “फिर वह आगे बढ़कर थोड़ा दूर गया और मुंह के बल गिरकर प्रार्थना करने लगा, ‘हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा तू चाहता है, वैसा ही हो।'”
इस प्रार्थना में प्रभु यीशु ने अपने पिता की इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाया। यह हमें सिखाता है कि हमें भी परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
मौंडी थर्सडे का आध्यात्मिक महत्व (The Spiritual Significance of Maundy Thursday):
(1) प्रेम और सेवा का संदेश (A message of love and service): यीशु ने अपने अनुयायियों को सिखाया कि सच्चा प्रेम बलिदान से जुड़ा हुआ होता है। उन्होंने अपने शिष्यों के पैर धोकर दिखाया कि बड़ा वही है, जो दूसरों की सेवा करता है।
(2) विश्वासघात और क्षमा का पाठ (Betrayal and Forgiveness Lessons): यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि दुख और पीड़ा के बावजूद हमें क्षमा का मार्ग अपनाना चाहिए, जैसा कि यीशु ने यहूदा के विश्वासघात और पतरस के इनकार के बावजूद किया।
(3) परमेश्वर की योजना के प्रति समर्पण (Surrender to God’s plan): यीशु का गेथसेमनी में प्रार्थना करना हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी इच्छाओं को परमेश्वर की इच्छा के अधीन रखना चाहिए।
मौंडी थर्सडे की प्रमुख परंपराएँ (Key Traditions of Maundy Thursday):
Maundy Thursday को विभिन्न ईसाई समुदायों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
(1) प्रभु भोज सेवा (Holy Communion Service): इस दिन विशेष चर्च सेवाओं में रोटी और दाखरस का सेवन किया जाता है, जो प्रभु यीशु के बलिदान का प्रतीक है।
(2) पैर धोने की रस्म (Feet washing ritual): कैथोलिक और कुछ प्रोटेस्टेंट चर्चों में इस दिन पादरी या अगुवे लोगों के पैर धोते हैं ताकि सेवा और विनम्रता को बढ़ावा दिया जा सके।
(3) वेदी की सफाई (Stripping of the Altar): कैथोलिक और एंग्लिकन चर्चों में वेदी से सभी वस्त्र और सजावट हटा दी जाती हैं, जो यीशु की गिरफ्तारी और क्रूस पर चढ़ाए जाने का प्रतीक है।
(4) रात्रि जागरण (Night Vigil): कई चर्चों में रात भर प्रार्थना और उपवास रखा जाता है, क्योंकि यही समय था जब यीशु गेथसेमनी के बगीचे में प्रार्थना कर रहे थे।
मौंडी थर्सडे की सीख (The Teachings of Maundy Thursday):
Maundy Thursday हमें प्रभु यीशु के प्रेम, सेवा और बलिदान की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हमें भी एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए और सेवा के माध्यम से प्रभु के प्रेम को दुनिया में फैलाना चाहिए। प्रभु यीशु ने कहा, “यदि मैंने तुम्हारे पैर धोए, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए” (यूहन्ना 13:14) । यह हमारे लिए एक आदर्श है कि हम विनम्रता और प्रेम के साथ दूसरों की सेवा करें।

निष्कर्ष (Conclusion):
Maundy Thursday हमें प्रभु यीशु के अंतिम भोज, पैर धोने की घटना और गतसमनी में उनकी प्रार्थना की याद दिलाता है। यह दिन हमें प्रेम, सेवा और बलिदान की महत्वपूर्ण सीख देता है। आइए, हम इस पवित्र दिन को प्रभु के प्रेम और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें। प्रभु यीशु ने कहा, “जैसा मैंने तुमसे प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो” (यूहन्ना 13:34)। यही मौंडी थर्सडे का सच्चा संदेश है।
क्या आप इस Maundy Thursday को सेवा और प्रेम का संदेश अपनाएँगे?
परमेश्वर आप पर अपनी आशीष बनाए रखें!
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Dr. (Mrs.) D.M. Singh, Ph.D. in Education, is a visionary educator and faith-inspired writer. Her blog blends academic expertise with spiritual wisdom, offering readers practical insights for personal and spiritual growth.