“याबेश की दुआ: संकट में विजय पाने का रहस्य” (The Prayer of Jabez: The Secret to Victory in Adversity)

याबेश : एक नाम जो दुःख की कहानी से आशीष की मिसाल बना (JABEZ: A Name That Turned From a Story of Sorrow to an Example of Blessing)

बाइबल के पुराने नियम में 1 इतिहास 4:9-10 में याबेश (Jabez) का जिक्र मात्र दो पदों में है, लेकिन उसकी प्रार्थना ने उसे इतिहास में अमर कर दिया। याबेश का नाम ही उसकी पीड़ा का प्रतीक था—”दुःख” या “वेदना”। उसकी माँ ने उसे यह नाम इसलिए दिया क्योंकि (उसने) “मैं ने इसे पीड़ित होकर उत्पन्न किया।” (1 इतिहास 4:9)। लेकिन याबेश ने अपने नाम के मायने को झुठलाते हुए एक ऐसी प्रार्थना की, जो न केवल उसके जीवन को बदल दी बल्कि आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।

क्यों खास है याबेश की प्रार्थना?

1 इतिहास 4:10 याबेस ने इस्राएल के परमेश्‍वर को यह कहकर पुकारा, “भला होता कि तू मुझे सचमुच आशीष देता, और मेरा देश बढ़ाता, और तेरा हाथ मेरे साथ रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं उससे पीड़ित न होता!” और जो कुछ उसने माँगा, वह परमेश्‍वर ने उसे दिया।

याबेश (Jabez) की प्रार्थना चार मुख्य भागों में बँटी है। यह प्रार्थना न सिर्फ साहस और विश्वास को दर्शाती है, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक मॉडल है जो अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठकर ईश्वर की महान योजना को पूरा करना चाहता है। आइए, इसके हर हिस्से को गहराई से समझें:

1. “तू मुझे बड़ी आशीष दे” – ईश्वर से बड़ी अपेक्षाएँ रखना: 

याबेश ने सबसे पहले ईश्वर से “बड़ी आशीष” माँगी। उस समय समाज में उसका स्थान और नाम उसे हीन बनाते थे, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसकी यह माँग हमें सिखाती है:

आशीष का अर्थ: यह केवल धन या सुख-सुविधा नहीं, बल्कि ईश्वर की उपस्थिति, उद्देश्य और आंतरिक शांति है।

साहस की जरूरत: ईश्वर से बड़ी चीजें माँगने के लिए विश्वास और साहस चाहिए। याबेश ने दिखाया कि विनम्रता के साथ बड़ी माँगें करना गलत नहीं है।

आज के लिए सीख: हम अक्सर छोटी इच्छाएँ रखते हैं, लेकिन ईश्वर चाहते हैं कि हम उनकी असीमित शक्ति पर भरोसा करें (इफिसियों 3:20)।

2. “मेरी सीमा बढ़ा दे” – प्रभाव और अवसरों का विस्तार:

“सीमा” यहाँ ज़मीन, प्रभाव और जिम्मेदारी का प्रतीक है। याबेश चाहता था कि उसका जीवन संकीर्ण दायरों से बाहर निकले। यह प्रार्थना हमें प्रेरित करती है:

व्यक्तिगत विकास: अपनी क्षमताओं और प्रतिभाओं को पहचानें और उन्हें बढ़ाने की प्रार्थना करें।

सामाजिक योगदान: ईश्वर से माँगें कि वह आपके माध्यम से दूसरों को आशीष देने का दरवाज़ा खोलें।

उदाहरण: नेहमियाह ने भी यरूशलेम की दीवारों को बनाने के लिए ईश्वर से साहस और संसाधन माँगे (नेहमियाह 2:4-5)।

3. “तेरा हाथ मेरे साथ रहे” – ईश्वरीय मार्गदर्शन की आवश्यकता:

याबेश जानता था कि सफलता का रहस्य ईश्वर की उपस्थिति में है। “हाथ” यहाँ शक्ति, सुरक्षा और मार्गदर्शन का प्रतीक है। इसका अर्थ है:

निर्भरता: बिना ईश्वर के, हमारी योजनाएँ निष्फल हो सकती हैं (भजन 127:1)।

सुरक्षा: संकटों में ईश्वर का हाथ हमें गिरने नहीं देता।

आधुनिक संदर्भ: काम, परिवार या स्वास्थ्य की चुनौतियों में ईश्वर से मार्गदर्शन माँगें।

4. ” बुराई (दुःख) से बचाए” – अतीत से मुक्ति और भविष्य की सुरक्षा:

याबेश ने ईश्वर से प्रार्थना की, “मुझे बुराई से बचाए कि मुझे कष्ट न पहुँचे।” यहाँ दो बातें छिपी हैं:

अतीत की पीड़ा: शायद वह अपने नाम और जन्म की वेदना से मुक्ति चाहता था।

भविष्य की सुरक्षा: वह चाहता था कि उसके कारण दूसरों को दुःख न हो।

सीख: ईश्वर हमारे घावों को ठीक कर सकते हैं और भविष्य के डर से मुक्ति दे सकते हैं (यिर्मयाह 30:17)।

याबेस की प्रार्थना से सीख (Learning from Jabez’s prayer):

  • प्रार्थना में स्पष्टता जरूरी है: याबेश ने ढुलमुल इच्छाएँ नहीं, बल्कि चार सटीक वरदान माँगे। हम भी अपनी जरूरतों को स्पष्टता से ईश्वर के सामने रख सकते हैं।
  • विश्वास का साहस: उसकी प्रार्थना में कोई शिकायत या हीनभावना नहीं थी—बस विश्वास था कि ईश्वर सुनेंगे।
  • आशीष का उद्देश्य: याबेश ने आशीष केवल अपने लिए नहीं, बल्कि अपने समुदाय के कल्याण के लिए माँगी।

आज के जीवन में याबेस की प्रार्थना को कैसे अपनाएं? (How can we apply the prayer of Jabez in our today's life?):

रोजाना प्रार्थना में इन चार बिंदुओं को शामिल करें:

    • ईश्वर से आपके लिए उनकी इच्छानुसार आशीष माँगें।
    • अपने प्रभाव क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रार्थना करें।
    • हर कदम पर ईश्वर के मार्गदर्शन की याचना करें।
    • अतीत के दर्द और भविष्य के डर से मुक्ति माँगें।

उदाहरण: यदि आप नौकरी की तलाश में हैं, तो प्रार्थना करें:

“हे प्रभु, मुझे एक ऐसा अवसर दें जहाँ मैं अपनी प्रतिभा का उपयोग कर सकूँ। मेरे कौशल को निखारें और मुझे ऐसे लोगों से जोड़ें जिन्हें मेरी सेवाओं की आवश्यकता है। मेरे हर साक्षात्कार में आपका हाथ मेरे साथ हो, और मैं अतीत की असफलताओं से मुक्त रहूँ।”

याबेस की प्रार्थना का परिणाम: एक अद्भुत विरासत (The Result of Jabez's Prayer: An Amazing Legacy):

बाइबल बताती है, “और जो कुछ उसने माँगा, वह परमेश्‍वर ने उसे दिया।”(1 इतिहास 4:10)। याबेश (Jabez)  न केवल अपने नाम के अर्थ (“दुःख”) से मुक्त हुआ, बल्कि उसका उल्लेख उसके भाइयों से अधिक सम्मान के साथ किया गया: “याबेस अपने भाइयों से अधिक प्रतिष्‍ठित हुआ” (1 इतिहास 4:9)। यही नहीं, उसके नाम पर एक पूरा शहर बसा (1 इतिहास 2:55), जो दर्शाता है कि ईश्वर ने उसकी प्रार्थना को कितनी महानता से पूरा किया।

निष्कर्ष: वह प्रार्थना जो आपकी कहानी बदल सकती है

याबेस (Jabez) की कहानी साबित करती है कि ईश्वर के सामने एक सच्ची और साहसी प्रार्थना किसी के जीवन, परिवार और यहाँ तक कि इतिहास को बदल सकती है। चाहे आपका अतीत कितना भी दर्दनाक हो, आपकी प्रार्थना जो परमेश्वर पर सच्चे विश्वास के साथ हो, उसमें वह शक्ति है जो आपको एक नया नाम, नया उद्देश्य और नई विरासत दे सकती है।

पास्टर अनिल कांत जी ने “Yabez Ki Dua” नाम का एक सुन्दर गीत बहुत पहले लिखा था जो 1 इतिहास 4:9 पदों पर आधारित था, आज भी इस गीत को सुनकर हमें बहुत सामर्थ मिलती है आप भी इस गीत को जरूर सुने।

“याबेस (Jabez) की तरह विश्वास की छलाँग लगाएँ। प्रार्थना करें, और देखें कि कैसे ईश्वर आपके ‘दुःख’ को ‘विजय’ में बदल देते हैं!”

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इस ब्लॉग को लिखने में भी Deepseek AI एवं ChatGPT का सहयोग लिया गया है. सभी फोटोज भी AI जेनेरेटेड है Photo जेनेरेटेड करने में qwenlm.ai, & Chat GPT का उपयोग किया गया है।

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